kanchan singla

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कोई अफसाना हो तुम...!!


कोई अफसाना हो तुम ,
या हो कोई हकीक़त...!!
कोई खामोश सा सच हो,
या हो कोई छुपा हुआ झूठ...!!
इक मीठी सी नींद हो,
या हो कोई बेचैन सी रात...!!
इक खोया सा कोई लम्हा हो,
या हो पाया हुआ इक पल...!!
तुम बीत गया कोई कल हो,
या हो आने वाला उजला दिन...!!
इक खामोश बहती नदी हो,
या हो उफनती लहरों वाला समंदर...!!

कभी धूप सी कभी छांव सी,
बिल्कुल एक ख्वाब सी,
तेरी मेरी यह जो कहानी है,
अफसानों की कोई निशानी है...!!
जो रोज गुजरती हैं मुझसे होकर,
 बनकर हवाओं का मीठा सा झोंका,
 छनकर आती सूरज की मीठी धूप,
 पत्तों पर ठहरी ओस की बूंद,
 बरसात की घनघोर घटाएं,
 लेती हमारे अफसानों की बलाएं...!!
 
 है यही हमारे अफसानों की दास्तां..
 है यही तेरे मेरे कर्म...
 जो गूंज रहे हैं फिजाओं में 
 बनकर अफसानो की धुन...!!

लेखिका - कंचन सिंगला
#लेखनी प्रतियोगिता -16-Dec-2021
 


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7 Comments

Shrishti pandey

17-Dec-2021 09:01 AM

Bahut khoob

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Abhinav ji

16-Dec-2021 11:58 PM

Nice one

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Swati chourasia

16-Dec-2021 11:10 PM

Wahh bohot hi khubsurat rachna 👌👌

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